आयुष्मान खुराना की नई फिल्म Thamma movie review को लेकर दर्शकों में काफी उम्मीदें थीं — आखिरकार ये Maddock Horror-Comedy Universe की एक और पेशकश थी। लेकिन अफसोस, जितनी उम्मीदें थीं, फिल्म उतनी ही फीकी साबित होती है। निर्देशक आदित्य सरपोतदार (जो मुनज्या जैसी दिलचस्प फिल्म बना चुके हैं) ने इस बार एक ऐसी कहानी गढ़ने की कोशिश की है, जिसमें हॉरर, कॉमेडी और रोमांस तीनों का मेल हो। पर नतीजा कुछ ऐसा निकला कि फिल्म ने दर्शकों की ऊर्जा ही चूस ली — खून नहीं।
💉कहानी में दम था, पर परदे पर खो गया असर
Thamma movie review फिल्म की कहानी आलोक (आयुष्मान खुराना) की है, जो एक रहस्यमय स्थिति में बैताल बन जाता है — यानी एक ऐसा जीव जो इंसानी खून पर जिंदा रहता है। इसी बीच उसकी जिंदगी में आती है रश्मिका मंदाना, जिससे वह प्यार करता है। पर क्या एक वैम्पायर इंसान से सच्चा प्यार कर सकता है? यही फिल्म का मूल सवाल है।
कहानी का विचार कागज पर दिलचस्प लगता है, लेकिन स्क्रीन पर आते-आते यह अपना असर खो देता है। फिल्म का पहला हिस्सा बेहद धीमा है, और दर्शकों का धैर्य बार-बार परखा जाता है। हालांकि बीच-बीच में निर्देशक की झलक मिलती है कि वो कहानी में कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं, पर परिणाम अधूरा रह जाता है।
❤️आयुष्मान और रश्मिका की केमिस्ट्री – अधूरी और बेमेल
Thamma movie review : Ayushmann Khurrana और Rashmika Mandanna की जोड़ी कागज पर तो सुंदर लगती है, पर पर्दे पर उनकी केमिस्ट्री उतनी प्रभावी नहीं दिखती। कुछ सीन में दोनों के बीच का रोमांस महसूस होता है, लेकिन ज्यादातर जगह यह बनावटी लगता है। उनकी प्रेम कहानी अधूरी सी लगती है — ज्यादा बताई गई, कम दिखाई गई।
🧛♂️ ‘भेड़िया’ यूनिवर्स से जुड़ाव भी फीका
Thamma movie review : फिल्म में Maddock Universe का जिक्र जरूर है — ‘भेड़िया’ और ‘मुनज्या’ जैसी फिल्मों से इसका संबंध दिखाने की कोशिश की गई है। पर ये कनेक्शन भी मजबूरन जोड़ा गया लगता है। बस जब वरुण धवन का कैमियो आता है, तब जाकर कहानी में थोड़ा जोश आता है।
🎭 कुछ मजेदार पल, लेकिन भावनाएं गायब
Thamma movie review : फिल्म में कुछ ऐसे मेटा मोमेंट्स हैं जो हंसी ला देते हैं — जैसे परेश रावल का “आयुष्मान भव” वाला डायलॉग या अभिषेक बनर्जी का भ्रम कि वो बिट्टू (आयुष्मान के असली भाई अपारशक्ति खुराना का किरदार) है। लेकिन ये छोटे-छोटे मजाक पूरी फिल्म को संभाल नहीं पाते।
🎶 तकनीकी पक्ष – म्यूजिक ठीक, VFX कमजोर
Thamma movie review : फिल्म का संगीत अच्छा है और कुछ गाने कानों में रह जाते हैं। लेकिन VFX औसत है — न डर पैदा करता है, न रोमांच। हॉरर एलिमेंट कमजोर हैं, और कॉमेडी कई जगह ठंडी पड़ जाती है। रश्मिका अपने किरदार में खूबसूरत दिखती हैं, लेकिन उनका एक्सेंट कभी-कभी ध्यान भटका देता है।
🧩 ‘थम्मा’ क्यों कमजोर साबित हुई
‘स्त्री’, ‘भेड़िया’ और ‘मुनज्या’ — इन फिल्मों में न सिर्फ मनोरंजन था बल्कि एक सामाजिक संदेश भी था।
- ‘स्त्री’ ने पितृसत्ता पर चोट की,
- ‘भेड़िया’ ने पर्यावरण का संदेश दिया,
- ‘मुनज्या’ ने सहमति और पुरुष अहंकार पर बात की।
Thamma movie review में ऐसा कोई भाव नहीं दिखता। अगर कोई संदेश है भी, तो वह कहानी में गहराई से दबा हुआ है।
🎬 कलाकारों का प्रदर्शन
- Ayushmann Khurrana फिर से अपने पुराने स्वरूप में नजर आते हैं — ईमानदार पर थोड़ा असमंजस में।
- Rashmika Mandanna ने पूरी मेहनत की है, लेकिन कमजोर लेखन ने उन्हें बांध दिया।
- Nawazuddin Siddiqui का खलनायक अंदाज़ इस बार असरदार नहीं, बल्कि ओवरएक्टेड लगता है।
- Paresh Rawal और Faisal Malik ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, पर कहानी उन्हें उड़ान नहीं देती।
⚰️ निष्कर्ष
‘Thamma movie review’ के अनुसार, यह फिल्म Maddock के हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की सबसे कमजोर कड़ी साबित होती है। कहानी में खून है, डर है, कॉमेडी है, लेकिन रूह नहीं है। आयुष्मान का वैम्पायर अवतार दिलचस्प तो है, पर फिल्म में वह गहराई नहीं है जो दर्शकों को बांध सके।
रेटिंग: ⭐⭐ (5 में से 2 सितारे)
फैसला: अगर आप Maddock यूनिवर्स के फैन हैं, तो एक बार देख सकते हैं, लेकिन उम्मीदें कम रखें — क्योंकि इन दांतों में अब काट नहीं बची! 🧛♂️
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