परिचय
कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि (Provident Fund – PF) उनके सेवानिवृत्ति और आपातकालीन परिस्थितियों में आर्थिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण साधन है। हाल ही में Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) की केंद्रीय बोर्ड (CBT) ने PF से आंशिक निकासी के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। इन्हें new PF withdrawal guidelines कहा जा रहा है। सरकार का कहना है कि ये बदलाव PF खाते के नियमों को सरल और उपयोगकर्ता के लिए आसान बनाने के लिए किए गए हैं।
New PF withdrawal guidelines में क्या बदलाव हैं?
13 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में हुई CBT की बैठक में 13 जटिल निकासी नियमों को तीन सरल श्रेणियों में बदलने का निर्णय लिया गया:
- आवश्यक जरूरतें – बीमारी, शिक्षा और विवाह जैसी व्यक्तिगत जरूरतें।
- आवास संबंधी जरूरतें – घर खरीदने या निर्माण से संबंधित खर्च।
- विशेष परिस्थितियां – आकस्मिक या अन्य आपातकालीन स्थिति।
पहले कर्मचारी केवल अपने योगदान और उस पर मिलने वाले ब्याज का 50% से 100% तक निकाल सकते थे। अब नई गाइडलाइन्स के तहत नियोक्ता का योगदान भी निकाला जा सकता है। इसका मतलब है कि PF खाते से निकासी की सीमा पहले की तुलना में अधिक व्यापक हो गई है।
New PF withdrawal guidelines : न्यूनतम बैलेंस का नियम
सरकार ने अब PF खाते में न्यूनतम 25% राशि हमेशा बनाए रखने का नियम लागू किया है। इसका मतलब यह है कि PF खाता पूरी तरह खाली नहीं किया जा सकेगा, चाहे कर्मचारी सेवा में हो या नौकरी छोड़ चुका हो। यह बदलाव खाते में दीर्घकालिक बचत सुनिश्चित करता है और सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा बनाए रखने में मदद करता है।
New PF withdrawal guidelines : नौकरी छोड़ने पर PF निकासी के नियम
पहले, नौकरी छोड़ने के दो महीने के भीतर कर्मचारी अपनी पूरी PF राशि निकाल सकता था। लेकिन अब यह अवधि बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है। नई गाइडलाइन्स के अनुसार:
- नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद 75% राशि निकाली जा सकती है।
- शेष 25% राशि केवल 12 महीने बेरोजगार रहने के बाद निकाली जा सकेगी।
- फाइनल पेंशन निकासी अब 36 महीने के बाद ही संभव होगी।
इस बदलाव का उद्देश्य कर्मचारियों को तत्काल राहत के साथ-साथ दीर्घकालिक बचत भी सुनिश्चित करना है।
New PF withdrawal guidelines : सरकार का तर्क
सरकार का कहना है कि new PF withdrawal guidelines से PF निकासी प्रक्रिया आसान, पारदर्शी और सुव्यवस्थित होगी। इससे कर्मचारी आवश्यकताओं में तुरंत मदद ले सकेंगे, जबकि खाता पूरी तरह खाली नहीं होगा। न्यूनतम बैलेंस नियम से दीर्घकालिक बचत सुनिश्चित होगी और सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा बनी रहेगी।
विपक्ष और ट्रेड यूनियनों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने इन new PF withdrawal guidelines पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह नियम कर्मचारियों की आर्थिक स्वतंत्रता को सीमित करते हैं।
- बेरोजगार व्यक्ति के लिए 12 महीने तक निकासी न होने का नियम असुविधाजनक है।
- ट्रेड यूनियनों का कहना है कि नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद पैसों की जरूरत होती है और इस नियम से कर्मचारी आर्थिक दबाव में आ सकते हैं।
- कुछ नियोक्ता संगठनों ने भी कहा कि यह लचीलापन कम करता है और कर्मचारियों में असंतोष बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि PF एक दीर्घकालिक बचत योजना है, इसलिए सरकार का कदम सही दिशा में है। लेकिन वे सुझाव देते हैं कि आपातकालीन स्थिति में कर्मचारी को जल्दी निकासी की सुविधा मिलनी चाहिए।
निष्कर्ष
new PF withdrawal guidelines से यह स्पष्ट है कि सरकार दीर्घकालिक बचत को सुरक्षित रखना चाहती है। हालांकि, तत्कालिक निकासी में कठिनाई बढ़ गई है। अब कर्मचारियों को PF खाते का इस्तेमाल सोच-समझकर करना होगा और इसे केवल “आपातकालीन फंड” के रूप में ही नहीं बल्कि “रिटायरमेंट सिक्योरिटी” के लिए भी देखना होगा।
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