Navratri Day 3: मां चंद्रघंटा की कथा, पूजा विधि, मंत्र, भोग और महत्व

भारत में नवरात्रि केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम है। हर दिन मां दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा का विधान है। Navratri Day 3 यानी नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। मां चंद्रघंटा को दुर्गा का तीसरा रूप कहा गया है, जिनकी पूजा करने से जीवन में साहस, शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि मां चंद्रघंटा के स्वरूप को साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। उनका नाम उनके मस्तक पर सुशोभित घंटे के आकार के अर्धचंद्र से पड़ा है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा करने से साधक को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की हर कठिनाई को पार करने का सामर्थ्य भी प्राप्त होता है।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप और पहचान

Navratri Day 3 पर पूजी जाने वाली मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। उनके शरीर का रंग सोने जैसा चमकीला है। मां के दस हाथ हैं, जिनमें अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है और उनका वाहन सिंह है। यह स्वरूप साहस, वीरता और विजय का प्रतीक माना जाता है।

मां चंद्रघंटा सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन से भय, दुख और अशांति को दूर करती हैं।

मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नामक असुर ने अपनी कठोर तपस्या से असीम शक्ति प्राप्त कर स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया और देवराज इंद्र का सिंहासन छीन लिया। उसके आतंक से समस्त देवता भयभीत हो गए और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) से सहायता की प्रार्थना की।

त्रिदेवों के सामूहिक क्रोध और ऊर्जा से मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप का प्रकट होना हुआ। भगवान शंकर ने मां को त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र और इंद्रदेव ने घंटा प्रदान किया। मां चंद्रघंटा ने अपने प्रचंड रूप से महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की और तीनों लोकों में शांति स्थापित की।

यही कारण है कि मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा — क्योंकि उनके पास दिव्य घंटा था, जिसकी ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत हो जाते थे।

Navratri Day 3 पर मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  2. घर के मंदिर या पूजा स्थल को शुद्ध जल से साफ करें।
  3. मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
  4. गंगाजल से प्रतिमा का अभिषेक करें।
  5. मां को चंदन, पुष्प, रोली, अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें।
  6. दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
  7. मां के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती गाएं।

Navratri Day 3: मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग

इस दिन मां को दूध और दूध से बनी मिठाई अर्पित करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मां चंद्रघंटा का मंत्र

मूल मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

ध्यान मंत्र:

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

Navratri Day 3 का शुभ रंग

नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ रंग लाल है। यह रंग शक्ति, पराक्रम और साहस का प्रतीक माना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा के समय लाल वस्त्र धारण करने से विशेष लाभ होता है।

आध्यात्मिक महत्व

मां चंद्रघंटा का संबंध मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra) से माना जाता है। यह चक्र आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति और आत्मसम्मान को नियंत्रित करता है। माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की साधना से इस चक्र की ऊर्जा सक्रिय होती है, जिससे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रखर और संतुलित बनता है।

Navratri Day 3 से मिलने वाले लाभ

  • भय और नकारात्मकता से मुक्ति
  • आत्मबल और साहस की वृद्धि
  • जीवन में सुख-शांति और समृद्धि
  • मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास

निष्कर्ष

Navratri Day 3 का दिन मां चंद्रघंटा की शक्ति और भक्ति को समर्पित है। मां का यह स्वरूप न केवल असुरों के संहार का प्रतीक है, बल्कि भक्तों को साहस और आशीर्वाद देने वाला भी है। इस दिन सच्ची निष्ठा से पूजा करने पर भक्त का जीवन सुख, शांति और ऊर्जा से भर जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करना हमें यह सिखाता है कि हर कठिन परिस्थिति में हमारे भीतर ही शक्ति का स्रोत छिपा है। आवश्यकता केवल उस शक्ति को पहचानने और जागृत करने की है।

FAQs – Navratri Day 3: मां चंद्रघंटा

Q1. Navratri Day 3 पर किस देवी की पूजा की जाती है?
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है।

Q2. मां चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा है?
मां चंद्रघंटा का शरीर सोने के समान चमकदार है, उनके दस हाथ हैं, मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है और उनका वाहन सिंह है।

Q3. Navratri Day 3 पर मां चंद्रघंटा को कौन सा भोग अर्पित किया जाता है?
इस दिन मां को दूध और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।

Q4. मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग कौन सा है?
मां चंद्रघंटा का शुभ रंग लाल है। इस दिन लाल वस्त्र धारण करके पूजा करना शुभ माना जाता है।

Q5. Navratri Day 3 पर मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व क्या है?
इस दिन मां की पूजा करने से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, आत्मविश्वास और साहस की वृद्धि होती है तथा जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

Q6. मां चंद्रघंटा का मंत्र कौन सा है?
मां चंद्रघंटा का प्रमुख मंत्र है:

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।  
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

Q7. मां चंद्रघंटा किस चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं?
मां चंद्रघंटा मणिपुर चक्र की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, जो आत्मबल और इच्छाशक्ति से जुड़ा है।

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