दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और आनंददायक माना जाता है। यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है और प्रत्येक दिन का अपना धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व होता है। दीपावली का दूसरा दिन Narak Chaturdashi 2025 के रूप में मनाया जाएगा, जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने असुर नरकासुर का वध किया था, जिससे धरती पर धर्म की स्थापना हुई थी।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन विशेष पूजा और उपाय करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता, दुख, और भय समाप्त हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
नरक चतुर्दशी 2025 कब है? (Narak Chaturdashi 2025 Date and Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, Narak Chaturdashi 2025 कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी। इस वर्ष यह शुभ तिथि सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है।
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:51 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 03:44 बजे
- मुख्य पूजा मुहूर्त: सुबह 7:47 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक
- काली चौदस मुहूर्त: रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक
- दीपावली हनुमान पूजा मुहूर्त: रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक
इस दिन यम दीपक, मां काली की पूजा, और हनुमान जी की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है।
नरक चतुर्दशी का महत्व (Significance of Narak Chaturdashi 2025)
नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व बेहद गहरा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन को पाप और अंधकार पर विजय के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है, दीपदान करता है और ईश्वर का स्मरण करता है, उसे नरक का भय नहीं रहता और उसके जीवन से दुखों का नाश होता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यमराज, मां काली, और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नरक चतुर्दशी पर विशेष पूजन विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi 2025)
- प्रातः स्नान:
सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपामार्ग या गंगाजल मिले हुए जल से स्नान करें।
इससे नकारात्मक ऊर्जा और पापों से मुक्ति मिलती है। - दीपदान:
शाम के समय घर के मुख्य द्वार के बाहर एक चौमुखी मिट्टी का दीपक जलाएं।
दीपक में सरसों का तेल डालें और चार बत्तियाँ लगाएं जो चारों दिशाओं की ओर हों। - दीपक रखने की दिशा:
दीपक को दक्षिण दिशा की ओर रखें, क्योंकि यह दिशा यमराज की मानी जाती है। - मंत्र:
दीपक जलाते समय यह मंत्र बोलें –
“मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह या त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥” - नियम:
दीपक जलाने के बाद उसे पलटकर न देखें और घर के अन्य सदस्य भी बाहर न आएं।
यह दीपक घर का सबसे वरिष्ठ सदस्य जलाता है।
नरक चतुर्दशी 2025 के अचूक उपाय (Powerful Remedies for Narak Chaturdashi 2025)
1. चौमुखी दीपक का उपाय
नरक चतुर्दशी पर चौमुखी दीपक जलाना सबसे शक्तिशाली अनुष्ठानों में से एक है। इससे यमराज प्रसन्न होते हैं, नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं और परिवार की अकाल मृत्यु, रोगों और कष्टों से रक्षा होती है।
2. मां काली की पूजा
नरक चतुर्दशी को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, जो देवी काली को समर्पित एक रात्रि है।
रात्रि में देवी की पूजा करें, लाल गुड़हल के फूल चढ़ाएँ और उनकी मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
यह अनुष्ठान शत्रुओं पर विजय पाने, बुरी शक्तियों को परास्त करने और सभी चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है।
3. हनुमान जी की उपासना
इस रात, भगवान हनुमान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और मंत्र का जाप करें:
“ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।”
कर्ज से मुक्ति, सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और जीवन में साहस प्राप्त करने के लिए इस मंत्र की कम से कम 11 मालाएँ जपें।
4. चौदह दीपक जलाएं
नरक चतुर्दशी की रात को 14 स्थानों पर दीपक जलाना शुभ माना गया है।
इन स्थानों पर दीपक जलाएं –
- घर का मुख्य द्वार
- तुलसी के पास
- रसोईघर
- मंदिर
- छत
- पानी रखने की जगह
- बाथरूम
- घर के कोने
इससे घर में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
नरक चतुर्दशी का शुभ योग और पंचांग (Narak Chaturdashi 2025 Shubh Yog and Panchang)
- सूर्योदय: सुबह 06:25 बजे
- सूर्यास्त: शाम 05:46 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:44 से 05:34 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:59 से 02:45 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:46 से 06:12 तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11:41 से 12:31 तक
कार्तिक मास की चतुर्दशी पर इस बार मंगलकारी शिववास योग बन रहा है, जो अत्यंत शुभ माना गया है।
इस योग में भगवान श्रीकृष्ण और यम देवता की पूजा करने से अभयता और मोक्ष का वरदान मिलता है।
छोटी दिवाली का आध्यात्मिक संदेश (Spiritual Meaning of Narak Chaturdashi 2025)
Narak Chaturdashi 2025 केवल एक अनुष्ठानिक त्योहार नहीं है, बल्कि प्रकाश और ज्ञान के माध्यम से आंतरिक अंधकार और अहंकार पर विजय पाने का एक अनुस्मारक है।
भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने की कथा हमारे भीतर के अहंकार, लोभ और अज्ञान के नाश का प्रतीक है।
इस दिन दीपक जलाना आंतरिक ज्ञान और सकारात्मकता को प्रज्वलित करने का प्रतीक है, जो सभी नकारात्मक या अशुद्धियों को दूर करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Narak Chaturdashi 2025 एक शक्तिशाली त्योहार है जो इसे भक्तिपूर्वक मनाने वालों के लिए सकारात्मकता, शक्ति और समृद्धि लाता है।
इस दिन भगवान कृष्ण, देवी काली और भगवान हनुमान की पूजा करके और पवित्र चतुर्मुखी दीपक जलाकर, व्यक्ति बाधाओं को दूर कर सकता है, शांति प्राप्त कर सकता है और आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकता है।
इस दिवाली दीपक जलाते समय, अपने हृदय में विश्वास, करुणा और सकारात्मकता का दीपक भी जलाना याद रखें।
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FAQs – Narak Chaturdashi 2025
प्रश्न 1. Narak Chaturdashi 2025 क्या है?
उत्तर: Narak Chaturdashi 2025, जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है, पाँच दिवसीय दिवाली उत्सव का दूसरा दिन है। यह भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय का प्रतीक है, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
प्रश्न 2. Narak Chaturdashi 2025 कब मनाई जाएगी?
उत्तर: हिंदू पंचांग के अनुसार, Narak Chaturdashi 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे शुरू होगी और 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे समाप्त होगी।
प्रश्न 3. Narak Chaturdashi को छोटी दिवाली क्यों कहा जाता है?
उत्तर: नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिवाली के भव्य त्योहार से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन लोग दिवाली की तरह अंधकार को दूर करने और समृद्धि का स्वागत करने के लिए दीये जलाते हैं।
प्रश्न 4. Narak Chaturdashi 2025 के महत्वपूर्ण अनुष्ठान क्या हैं?
उत्तर: मुख्य अनुष्ठानों में शामिल हैं:
सूर्योदय से पहले पवित्र स्नान (अभ्यंग स्नान)
