प्रस्तावना
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के नौवें दिन को महा नवमी (Maha Navami 2025) कहा जाता है। यह दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सिद्धियां प्रदान करती हैं और उनके जीवन से सभी कष्टों का नाश करती हैं। इस दिन हवन, कन्या पूजन और देवी की विशेष आराधना करने का महत्व है।
साल 2025 में महा नवमी 1 अक्टूबर (बुधवार) को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस पावन अवसर के पूजा मुहूर्त, विधि, मंत्र, हवन, कन्या पूजन और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से।
Maha Navami 2025: तिथि और समय
- नवमी तिथि प्रारंभ: 30 सितंबर 2025, शाम 06:06 बजे
- नवमी तिथि समाप्त: 1 अक्टूबर 2025, शाम 07:01 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: 1 अक्टूबर सुबह 06:29 बजे से शाम 06:27 बजे तक
इस अवधि में मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना जाएगा।
नवरात्रि नवमी का महत्व
महा नवमी, नवरात्रि का अंतिम और सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन तीन मुख्य अनुष्ठान होते हैं:
- मां सिद्धिदात्री की पूजा
- हवन (Havan Pujan)
- कन्या पूजन (Kanya Pujan)
मान्यता है कि नवमी पर यदि ये तीनों विधियां पूर्ण श्रद्धा से की जाएं तो भक्त को असीम पुण्य और माता की कृपा प्राप्त होती है।
महा नवमी पूजा विधि 2025
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थल या हवन कुंड को शुद्ध करें।
- कलश स्थापना कर मां सिद्धिदात्री का आवाहन करें।
- मां को लाल या नारंगी वस्त्र, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ या सिद्धिदात्री मंत्र का जाप करें।
- इसके बाद हवन करें और अंत में कन्या पूजन करें।
Maha Navami 2025: पूजा में इस्तेमाल होने वाला भोग
नवरात्रि की नवमी पर मां को विशेष रूप से हलवा, पूरी और काले चने का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद बाद में कन्याओं को भी अर्पित किया जाता है।
नवरात्रि नवमी मंत्र (Maha Navami Mantra)
- ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महा नवमी हवन पूजन विधि और मंत्र
हवन, महा नवमी का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
हवन विधि:
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्ज्वलित करें।
- प्रत्येक आहुति के साथ मंत्र का उच्चारण करें।
- देवी-देवताओं के नाम से आहुति दें।
- अंत में मां की आरती और क्षमा प्रार्थना करें।
प्रमुख हवन मंत्र
- ॐ गणेशाय नम: स्वाहा
- ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा
- ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ॐ हनुमते नम: स्वाहा
- ॐ शिवाय नम: स्वाहा
(कुल 108 आहुतियां अर्पित करना शुभ माना जाता है।)
Maha Navami 2025: कन्या पूजन विधि
नवमी पर कन्या पूजन विशेष महत्व रखता है। इसमें 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजते हैं।
विधि:
- कन्याओं को घर बुलाकर उनके चरण धोएं।
- माथे पर कुमकुम का तिलक करें।
- उन्हें पूरी, हलवा, चने का प्रसाद खिलाएं।
- उपहार, वस्त्र या दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
कहते हैं कि बिना कन्या पूजन और हवन के नवरात्रि की पूजा अधूरी रहती है।
नवरात्रि नवमी का रंग (Navratri Day 9 Colour)
इस दिन लाल और नारंगी रंग पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग ऊर्जा, शक्ति और उत्साह का प्रतीक है।
नवरात्रि नवमी क्षेत्रीय उत्सव
भारत के विभिन्न हिस्सों में नवमी अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है:
- उत्तर भारत: हवन और कन्या पूजन मुख्य आकर्षण होते हैं।
- दक्षिण भारत: इस दिन आयुध पूजा (Ayudha Puja) मनाई जाती है। लोग अपने औजार, हथियार और वाहन की पूजा करते हैं।
- पश्चिम बंगाल: महा नवमी पर दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन होता है।
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश: बथुकम्मा उत्सव नवमी को समाप्त होता है। महिलाएं फूलों से बने विशेष मंडप तैयार करती हैं।
मां दुर्गा की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी॥
(पूरी आरती गाने से भक्त को शांति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।)
निष्कर्ष
Maha Navami 2025 नवरात्रि का अंतिम और अत्यंत पावन दिन है। मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन इस दिन के मुख्य अनुष्ठान हैं। यह दिन भक्तों के लिए सिद्धियों की प्राप्ति और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का अवसर लाता है। यदि पूरी श्रद्धा और नियम से नवमी की पूजा की जाए तो मां दुर्गा अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं।
Maha Navami 2025 FAQs
Q1: Maha Navami 2025 कब है?
1 अक्टूबर 2025, बुधवार।
Q2: महा नवमी पर किस देवी की पूजा होती है?
मां सिद्धिदात्री की।
Q3: महा नवमी का शुभ मुहूर्त क्या है?
सुबह 06:29 से शाम 06:27 बजे तक।
Q4: नवमी पर क्या भोग लगाना चाहिए?
हलवा, पूरी और चने।
Q5: कन्या पूजन का महत्व क्या है?
कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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