H-1B Visa Fee Lawsuit 2025: अमेरिकी चैंबर ने सरकार पर मुकदमा दायर किया, कहा नई फीस इमिग्रेशन कानून का उल्लंघन है

H-1B visa fee lawsuit 2025 ने अमेरिका में इमिग्रेशन से जुड़ी बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है। US Chamber of Commerce ने अमेरिकी सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर करते हुए दावा किया है कि नई वीजा फीस बढ़ोतरी कानून के खिलाफ है और इससे उन अमेरिकी कंपनियों पर भारी बोझ पड़ेगा जो वैश्विक प्रतिभा पर निर्भर हैं।

US Chamber ने नई वीजा फीस के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की

US Chamber of Commerce और कई बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं ने गुरुवार को संघीय अदालत में यह मुकदमा दायर किया। इस शिकायत में US Citizenship and Immigration Services (USCIS) और Department of Homeland Security (DHS) को नामित किया गया है, जिन पर “अवैध और अत्यधिक फीस वृद्धि” लागू करने का आरोप लगाया गया है।

चैंबर का कहना है कि ये नई फीस उन अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाएगी जो विदेशी कुशल कर्मचारियों पर निर्भर हैं, खासकर तकनीकी, इंजीनियरिंग और अनुसंधान क्षेत्रों में।

H-1B visa fee lawsuit 2025 नई फीस वृद्धि का विवाद

साल 2025 की शुरुआत में, USCIS ने H-1B वीजा और अन्य रोजगार-आधारित वीजा श्रेणियों के लिए भारी फीस वृद्धि की घोषणा की। इसमें प्रीमियम प्रोसेसिंग और बड़े नियोक्ताओं द्वारा कई आवेदन दाखिल करने पर अतिरिक्त शुल्क शामिल था।

US Chamber का आरोप है कि यह वृद्धि Immigration and Nationality Act (INA) की सीमा से अधिक है। मुकदमे के अनुसार, सरकार ने यह नियम लागू करने से पहले उचित समीक्षा या आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण नहीं किया।

H-1B visa fee lawsuit 2025 व्यवसायों को वैश्विक प्रतिभा खोने का डर

टेक कंपनियों, अनुसंधान संस्थानों और स्टार्टअप्स ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा को नियुक्त करने की प्रक्रिया महंगी हो जाएगी और कुशल पेशेवर अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं।

H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) क्षेत्रों में उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को आकर्षित करता है। नई फीस नीति अमेरिका की प्रतिस्पर्धा क्षमता को कमजोर कर सकती है।

H-1B visa fee lawsuit 2025 चैंबर का बयान और कानूनी आधार

US Chamber of Commerce ने अपने बयान में कहा, “सरकार की अत्यधिक फीस संरचना मौजूदा इमिग्रेशन कानूनों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।”

चैंबर का तर्क है कि USCIS ने अपनी सीमाओं से परे जाकर फीस बढ़ाई है और यह बढ़ोतरी किसी पारदर्शी लागत विश्लेषण के बिना की गई। उनका यह भी कहना है कि यह कदम एजेंसी की आंतरिक अक्षमता की भरपाई के लिए उठाया गया है, न कि सिस्टम सुधारने के लिए।

मुकदमे में इस नियम को रोकने और पुराने शुल्क ढांचे को बहाल करने की मांग की गई है, जब तक कि वैध प्रक्रिया पूरी न हो जाए।

H-1B visa fee lawsuit 2025 कंपनियों और विदेशी कर्मचारियों पर प्रभाव

अगर यह फीस वृद्धि लागू रही तो कई कंपनियों के लिए लागत काफी बढ़ जाएगी। छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए यह और भी मुश्किल साबित हो सकती है क्योंकि वे बड़े कॉरपोरेशनों की तरह खर्च नहीं उठा सकते।

विदेशी कर्मचारियों को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि कई कंपनियाँ आवेदन की संख्या कम कर सकती हैं। इससे अमेरिका में नवाचार, अनुसंधान और रोजगार सृजन की गति धीमी हो सकती है।

H-1B visa fee lawsuit 2025 सरकार का पक्ष और नीतिगत औचित्य

USCIS और DHS ने इस वृद्धि का बचाव करते हुए कहा कि यह शुल्क एजेंसी के परिचालन खर्चों को पूरा करने और सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए जरूरी है। उनका कहना है कि इससे बैकलॉग कम करने, सेवा सुधारने और सुरक्षा जांच को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

हालाँकि, आलोचकों का कहना है कि सरकार ने इस वृद्धि के लिए पर्याप्त डेटा या तर्क प्रस्तुत नहीं किया। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उल्टा असर डाल सकता है और कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा से वंचित कर देगा।

H-1B प्रोग्राम पर नीति बहस फिर तेज

H-1B वीजा प्रोग्राम लंबे समय से अमेरिकी राजनीति और अर्थव्यवस्था में चर्चा का विषय रहा है। समर्थकों का कहना है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी उद्योगों के लिए कुशल श्रमिकों की कमी को पूरा करता है, जबकि विरोधी दावा करते हैं कि इससे स्थानीय कर्मचारियों की नौकरियाँ प्रभावित होती हैं।

यह मुकदमा इस बहस को और गहराई देगा और यह तय करेगा कि अमेरिका में इमिग्रेशन नीतियाँ भविष्य में किस दिशा में जाएंगी।

H-1B visa fee lawsuit 2025 मुकदमे के संभावित परिणाम

अगर अदालत US Chamber of Commerce के पक्ष में फैसला देती है, तो सरकार को इस नई फीस नीति को वापस लेना पड़ सकता है या उसे वैध प्रक्रिया से दोबारा लागू करना पड़ सकता है।

दूसरी ओर, अगर अदालत सरकार के पक्ष में जाती है, तो कंपनियों को नई फीस चुकानी होगी, जिससे H-1B आवेदन कम हो सकते हैं और विदेशी नियुक्तियाँ घट सकती हैं।

निष्कर्ष

H-1B visa fee lawsuit 2025 केवल एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि व्यापार और सरकारी नीतियों के बीच एक बड़ी टकराहट का प्रतीक है। US Chamber of Commerce की यह कानूनी लड़ाई भविष्य में रोजगार-आधारित इमिग्रेशन सिस्टम की दिशा तय कर सकती है।

जैसे-जैसे यह मुकदमा आगे बढ़ेगा, अमेरिकी कंपनियाँ और विदेशी पेशेवर इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि H-1B वीजा सिस्टम 2025 और उसके बाद कैसा रूप लेगा।

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